मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
Friday, October 15, 2021
76 तर्ज मतवालो देवरियो मारवाड़ी)
Saturday, September 18, 2021
75 तर्ज तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं ए सनम हम तो सिर्फ तुमसे प्यार करते हैं Lyricist : Sameer, Singer : Kumar Sanu - Sadhana Sargam, Music Director : Nadeem - Shravan, Movie : Deewana (1992)
Sunday, September 12, 2021
74 तर्ज जे हम तुम चोरी से बंधे इक डोरी से Movie: धरती कहे पुकार के (1969)Music By: लक्ष्मीकांत प्यारेलालLyrics By: मजरूह सुल्तानपुरीPerformed By: मुकेश, लता मंगेशकर
Saturday, September 11, 2021
73 तर्ज किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी हैकहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है Album : Aitbaar (1985)Singer : Asha Bhosle, BhupinderMusician : Bappi Lahiri
Friday, September 10, 2021
72 तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे Movie: Shershaah (Year-2021)Singer/गायक: Jubin Nautiyal, Asees KaurMusic Director/संगीतकार: Tanishk BagchiLyrics Writer/गीतकार: Tanishk BagchiStar casts
Tuesday, September 7, 2021
71 तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,Movie/Album: अभिलाषा (1968)Music By: आर.डी.बर्मनLyrics By: मजरूह सुल्तानपुरीPerformed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
Monday, September 6, 2021
70 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम Song : Ka Karoon Sajni Aaye Na BalamAlbum : Swami (1977)Singer : YesudasMusician : Rajesh RoshanLyricist : Amit Khanna
Saturday, August 14, 2021
69 तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये Taqdeer (1967):Singer: Mohammed RafiMusic: Laxmikant-PyarelalLyrics: Anand Bakshi
Saturday, August 29, 2020
63 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-२
निराशा के सागर ,में, आशा वही है
प्रभु साथ है तो
कुछ भी नहीं है तो कोई ग़म नहीं है
जहां पर प्रभु ,सब कुछ ,तो वहीं है
प्रभु साथ है तो
१
कैसी बीमारी ये महामारी-२
समझा नहीं कोई जग पे है भारी
महावीर तेरी कमी खल रही है
मानव-ता खत-रे में पड़ी है
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
२
अणुव्रत, धारो,जो,सुख चाहो-२
जियो और जीने दो मंत्र सुनाओ
अहिंसा परम है ,धरम, इस जग में
वीर प्रभु का, ये मार्ग बताओ
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
३
मानव जब, जब ,बनता है दानव-२
करता है शोषण, पर्या-वरण का
प्रकृति करेगी, स्वयं ,अपनी रक्षा
महामारियों,को तो सहना पड़ेगा
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
रचयिता - राजू बगड़ा, मदुरै
Tarikh- 15.4.2020, 4pm
Wednesday, August 12, 2020
68 तर्ज- जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो (संत ज्ञानेश्वर)
जिनवाणी सुनते सुनाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
क्षमा ही जैन धर्म का है सार
हिंसा को जड़ से मिटाते चलो
1
अनादि काल से मां जिनवाणी,
सबको राह दिखाती
सुख में दुःख में साथ निभाती
भव से पार कराती
जिनवाणी पूजन जो करता सदा-2
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
2
अरिहंतो के मुख से निकली
तीनों लोक में फैली
काल अनंत बीत गए जग में
माता कभी ना ठहरी
जिन उपदेश जो सुनता सदा
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
3
पर्युषण में दश धर्मो को
जो भी धारण करता
सोलह कारण भावना भा कर
तीर्थंकर सम बनता
तप की राह जो चलता सदा-2
तपसी को ऐसे नमाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
रचयिता राजू बगड़ा
ता: 23.8.2020,4.30pm
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Tuesday, June 16, 2020
66 हमें और जीने की चाहत न होती
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
शरण मिल जाए तेरी, यही आश धारे
1
तुम्हीं सच्चे गुरु और, पंच परमेष्ठि
तुम्हीं सच्चे साधक, तपस्वी हो श्रेष्ठि
गुरुवर तुम्हारे,चरणों की धूलि
लगालू जो माथे पे ,टले कर्म सूली
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
2
दर्शन ज्ञान की, सम्यक मूर्ति
सच्चे चरिsत्र की, जीवन्त ज्योति
शान्तिसागर ,_आचार्य के जैसे
हे गुरु तुम सम ,पुण्य से मिलते
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 19.6.2020
12.30 AM
Sunday, June 7, 2020
65 थोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
1
कमल सी कोमल काया,मनोरम छवी निराली
सनावद गांव से निकले, हो के गुरुवर वैरागी
दिशा जीवन की बदली, ब्रह्मचर्य को धारा
मनोरमा कमल का लाला,बना जग का सितारा
धन्य हुआ विश्व सारा,धन्य जैनत्व सारा
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
2
दिगम्बर मुनि चर्या में ,शिथिलता कभी नहीं की
संघ को एक सूत्र में ,पिरोकर ज्ञान वृद्धि की
सरलता विनयशीलता, गुणों की खान हो गुरुवर
शास्त्र आगम के ज्ञानी, जुबां पर मां जिनवाणी
शान्तिसागर आचार्य ,के परम भक्त हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
रचयिता
राजू बगड़ा, मदुरई
ता: 9.6.2020, 5 pm
Wednesday, April 15, 2020
64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)
गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-
Note: सभी अन्तरो की राग एक ही है
रचयिता राजू बगड़ा, मदुरै
ता:29.4.20
6.00pm
Tuesday, March 31, 2020
67 मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता
मिलता,हमेशा,सुख,अहिंसा,के भाव से
दे कर गए संदेश,महा-वीर,ज्ञान से
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
1
सनावद गांव धन्य हुआ,
तेरे आने से जग झूमा
हुआ हर्षित कमल का मुख,2
मनोरमा मां का, मन झूमा
तुम्हीं वर्तमान,के वर्द्धमान हो, तेरी, करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
2
आचार्य शान्ति सागर की
परम्परा को निभाते हो
अठाईस मूल गुण मुनि के 2
पालन ,करते कराते हो
प्रभू भक्ति में ,रत हरदम,गुरु तेरी करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 19.6.20
10.30 pm
Sunday, September 8, 2019
62 तर्ज-चले जैसे हवाएं सनन सनन, उड़े जैसे परिंदे गगन गगन (मैं हूं ना)
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
तप करके जलालो ,करम करम
1
जिनवाणी हमको समझाये,
गुरुवाणी भी ये समझाये
संयम तप है बड़ा
हम भी संयम धारण करके
तर जाएंगे भव सागर से
संयमी बनेंगे सदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
तप करके जलालो ,करम करम---------------
2
उत्तम क्षमा जंहा मन होई
अंदर बाहर शत्रु न कोई
करते है पूजा सदा
क्षमा भावना धारण करके
कोमलता के फूल खिलाके
क्रोध को करके विदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
तप करके जलालो ,करम करम
ता: 8.9.2019 11.45 Pm
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Friday, September 6, 2019
60 तर्ज - हरियाला बन्ना ओ नादान बन्ना ओ (मारवाड़ी)
रुपया पैसा,यो महल मालिया,
यो जग सारो,प्रभु ना भा व-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
1
शिखरजी गयो रेे, हे पारस प्रभु रे -2
म वंदना भी कर आयो,
प्रभु अब कष्ट मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
2
चांदनपुर गयो रेे, महावीर प्रभु जी -2
थार लाडू भी चढ़ाया,
अब तो दुखड़ा मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
ता:-7.9.2019,1.15 AM
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Monday, September 2, 2019
59 तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-रुस्तम
प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
1
मैंने छोड़े है पापों के रास्ते
अब आया हूं तेरे पास रे
तेरी भक्ति में डूबा जाऊं में
पहचान ले
मैंने क्रोध कषाय को त्याग दिया
मैंने क्षमा धरम अपना लिया
स्वारथ के इस संसार को
है जान लिया
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
2
कभी किसी भी, गति में जाऊं मैं
तेरे ध्यान से भटक ना जाऊं मैं
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
तेरा मेरा मिलना दस्तूर है
तेरे होने से मुझमें नूर है
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
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Sunday, December 30, 2018
58 तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
1
इतनी सी, छोटी सी, होती है ,ये जिंदगानी-2
रुक जाती है,थम जाती है,जब ये सांसे सारी
स्वार्थी दुनियां में
तू एकला आता है
और एकला जाता है
जब कुछ नहीं मिलता है, फिर क्यों तू रोता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है
2
गुरुओं का संगम जब तब मिल जाता है हमको
उनके उपदेशों से पथ मिल जाता है हमको
जिनवाणी सुनके
इक ज्ञान जो मिलता है
इक आनन्द मिलता है
जब दोनों मिलते है,तब मोक्ष भी मिलता है
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
राजू बगड़ा
ता: 4.9.2019 11.30.P.M
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Saturday, September 22, 2018
57 तर्ज- दंगल दंगल (दंगल)
रे इंसा जाग तूं
रे इंसा सुण ले तूं
रे हिंसा त्याग तूं
रे जैनी बण जा तूं
मां के पेट से मरघट तक है, तेरी कहानी, सुण ले प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
क्रोध की लपटों में,
मन झुलस जाता है
उनको फिर बुझा
करदे फिर क्षमा
बात बन जाती है
--
बुलबुला पानी का
तेरा प्यारा जीवन
किसको है पता
हो के फट फटा
सांसे रुक जाती है
तो जिनवाणी तुझको समझाये,
मोह माया को त्याग दे प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
1
रे इंसा सुण ले तूं,रे जैनी बण जा तूं
रे इंसा सुण ले तूं, रे हिंसा त्याग तूं
पांच है घोड़े तेरे,पांच ये तेरी इंद्रिया
मन बना तेरा सारथी,रथ बनी तेरी काया
रथ में है आ के बैठी ,आतमा बन के राजा
मर्जी है जिधर हाँक ले ,
तेरी चाकरी करे है मनवा,$$$$$$$
अरे,जैन मुनि को देख के प्यारे,तू भी तप कर ले रे प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
मां के पेट से मरघट तक है, तेरी कहानी-----------
रचयिता-राजू बगड़ा, मदुरै 23.9.2018 /1.30am
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Friday, September 21, 2018
56 तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)
हम रोज नमन करते
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
तुम्हें बिन जाने,बिन पहचाने,जन्म अनेकों गंवाये - 2
आज हमें जब ज्ञान मिला तो,तेरे चरणों में आये
चारों गतियों में दुःख जो उठाये
तड़प के आहे भर भर के
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
तू ही इक सहारा ,नश्वर जग में,भव से जो पार कराये - 2
जनम जनम के पाप करम से,हम को भी मुक्ति दिलाये
ऐसी ही आशा, ले के हम आये
तेरी दया पाने को
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
Wednesday, September 19, 2018
55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घयल
हर ल म्हारा मन की पीड़ा ) 2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी कर कर म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
जद पड्या करम का सोटा
म्हे टेढ़ा, बणग्या सीधा
म्हारो जियड़ो अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
रचयिता -राजू बगड़ा ,मदुरै
19.9.2018--11. 30 pm
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Sunday, September 16, 2018
54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग]
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
१
गुरु कहे हर आतम से - तेरा नहीं कोय
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा होवे कौन
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
२
गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
३
सुनो किसी गुरुवर ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे दुनियां लेकिन मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से , दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है
गुरु जनों के मुख से जो ,जिनवाणी सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
रचयिता -राजू बगड़ा
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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Monday, July 31, 2017
61 तर्ज -वादा न तोड़,तू वादा न तोड़ [फ़िल्म -दिल तुझ को दिया ]
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
1
पंचेन्द्रियों के जाल में फंसकर ,जाने कितने जनम गंवाये
संयम धारण करने से तेरे , कर्मो के बंधन टूटते जाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो-2
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
2
चारों गति में संयम पालन ,मानव ही कर सकता है धारण
त्यागी तपस्वी ये बतलाये , पंचेन्द्रियों से मुक्ति दिलाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
रचयिता -राजू बगड़ा
1. 8 . 2017
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Tuesday, September 13, 2016
53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]
मनवा मेरा हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2
थारी शरण में
दुःख दूर सब
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
रचयिता -राजू बगड़ा
ता;13 -09 -2016
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Wednesday, September 7, 2016
52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता
ता ; 8. 9 . 2016
Tuesday, September 22, 2015
51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------
१
जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
२
उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
रचयिता -राजू बगड़ा
ता -२३.०९.२०१५
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Thursday, September 17, 2015
50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
१
क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
२
खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
३
दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय- आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
रचयिता
राजू बगड़ा
ता 18 . 9 . 2015
49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ]
जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा -करले पापो से तौबा
१
पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
हा तो -जैसा जो बोयेगा
२
दश धर्मों के - दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब तपाले तू -२
याद रखना फिर -२ मुक्ति पाओगे
हा तो -जैसा जो बोयेगा
रचयिता -राजू बगड़ा
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm
Sunday, September 7, 2014
45 तर्ज-मैं रंग शर्बतों का -तू मीठे घाट का पानी
तर्ज -मैं रंग शरबतों का -तू मीठे घाट का पानी [फटा पोस्टर निकला हीरो ]
Monday, September 1, 2014
48 तर्ज -पूरा लन्दन ठुमकता [क्वीन]
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Saturday, August 30, 2014
22 तर्ज-हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में
तर्ज -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में [जांबाज ]
Thursday, August 28, 2014
42 tarj-फूलों का तारों का सबका कहना है
तर्ज -फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ]
Tuesday, September 10, 2013
47 तर्ज -सुन रहा है ना तू रो रहा हूँ मै [आशिकी 2 ]
तेरे चरणों में दौड़े आये
वीरा ssss वीरा ssssss वीरा sssss
मुझको ये ज्ञान दे
आतम का भान दे
मेरी काया से मुझको थोड़ा तॊ बैराग दे
क्षमा का भाव दे
दया का भाव दे
मुझ पर हो जाये कृपा थोड़ा आशीर्वाद दे
तेरे चरणों में दौड़े आये
कर दे इधर भी तू निगाहे
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
१
मोह का अँधियारा , खुद को भुला दिया
पर को निज समझा , पापों से घिर गया
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे चरणों में दौड़े आये
कर दे इधर भी तू निगाहे
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
२
धन मैं ने कमाया ,जीवों को मार के
बिलकुल निर्दयी हूँ , लालच के भाव से
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे चरणों में दौड़े आये
कर दे इधर भी तू निगाहे
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
रचयिता -राजू बगडा
ता ; 10. 09. 2013
46 तर्ज -क्योंकि तुम ही हो [आशिकी 2 ]
हम तेरे चरणों में आये है जिनवर
अपना शीश झुकाने को
तुझ को छू कर मिल जाये मुक्ति
है विश्वास मेरे मन को
क्यूँ कि तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो
१
तेरा मेरा रिश्ता पुराना
भक्ति कभी टूटी ही नहीं
मै कभी तुमसे दूर हुआ पर , तुमने मुंह मोड़ा ही नहीं
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss
क्यूँ कि तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो
२
मेरे लिए ,ही जिया मै , हूँ स्वार्थी
कर दिया है ,भोगो में जिन्दगी को पूरा -सारी अच्छाइयों को छोड़ा
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss
क्यूँ कि तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो
रचयिता -राजू बगडा
ता ; १०. ०९. २०१३
Sunday, September 8, 2013
43 तर्ज -जीने लगा हूँ पहले से ज्यादा [रमैया वस्तावैया ]
करने लगा हूँ भक्ति प्रभु की
पहले से ज्यादा अब मै करने लगा हूँ
ओ ssssss ओ sssssss ओ ssssss
मै तेरे ध्यान में डूबा रहूँ
खुद की मै पहचान करता रहूँ
जीना मुझे तू सिखाता रहे
कर्मो का मैल हटाता रहूँ
करने लगा हूँ भक्ति प्रभू की ------------
१
जन्म जन्म के मेरे संस्कार कैसे
उलझा हुआ हूं झूठी माया में ऐसे
झूठी माया में मै उलझा ,जनम जनम से कैसे
तेरी शरण में आया भगवन मुझको बचाले भव से
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ------ओ sssss
२
उत्तम क्षमा के फूल खिलने लगे है
हिंसा के कांटे मन से खिरने लगे है
फूल क्षमा के अब तो मेरे, मन में खिलने लगे है
तेरे ध्यान से क्रोध के कांटे ,मन से खिरने लगे है
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ----ओ ssssss
रचयिता -राजू बगडा
ता ;०८. ०९. २०१३
44 तर्ज - ओह रे ताल मिले नदी के जल में [अनोखी रात ]
इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे
http://sound11.mp3slash.net/indian/anokhi_raat1968/anokhiraat03%28www.songs.pk%29.mp3
ओह रे जीव फिरे भव सागर में
चारों गती नापे रे
सुखी दुखी कर्मो से होवे - नहीं जाने रे
१
रिश्ते नातो में उलझा - सुखी दुखी होता है -२
काया धन दौलत पाके -अभिमानी होता है -२
ओ मितवा रे -S S S S S S S
काया धन दौलत पाके -अभिमानी होता है -
कोई ना जाये संग में नहीं माने रे -ओह रे -------------
२
जन्मो जन्मो की कषायो ,में लिपटी आत्मा -है लिपटी आत्मा
क्षमा के नीर से धोले -कहते परमात्मा -२
ओ मितवा रे -S S S S S S S
क्षमा के नीर से धोले -कहते परमात्मा -
क्या होगा कौन से पल में कोई जाने ना -
ओह रे जीव फिरे भव सागर में ---------------
रचयिता -राजू बगडा
ता ;०८. ०९.२०१३
Sunday, September 23, 2012
21 तर्ज-पीलूं तेरे नीले नीले नैनो से शबनम [once upon a time in mumbai ]
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s सुनले जरा s s s s
1
स्वर्गो में ,कभी मैं नरको में ,हर जनम फिरता भटकता रहा मारा मारा हूँ मैं
तेरा संग, मिला है इस जनम , अब नहीं छोडूंगा बन के रहूँगा मैं तेरा सदा
पीलूं गंधोदक तेरे चरणों का भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
2
दश धरम, मैं पालूंगा सदा ,हर समय ध्यान- करूँगा मैं तेरा, रात दिन
तूं ही सिर्फ ,सुखों की खान हो ,और, कहीं सुख भी नहीं है अधूरे, इस संसार में
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s सुनले जरा s s s s
रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012
41 तर्ज-मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली [राजा और रंक ]
http://sound10.mp3pk.com/indian/raja_aur_runk_1968/raja_aur_runk1%28www.songs.pk%29.mp3
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
मेरा कोई नहीं है अपना
फिर भी मानू सबको अपना
दुखी होती रहती, जनम मरण के फेर में
1
स्वर्गो में मैं जाय विराजी ,इर्ष्या से जल जल गयी 2
नरको में जब पहुँची तो ,बदले की, आग में जल गयी
रे सुख न मिला मुझे इक पल को s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
2
मनुज जनम पाया है मैंने ,मुश्किल से अब जाके 2
सुख की छाँव मिली है मुझको, तेरा दर्शन पाके
ओ प्रभुजी मेरी अब सुध ले लो s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012
Wednesday, September 19, 2012
20 तर्ज-कहीं दूर जब दिन ढल जाये ,सांझ की दुल्हन बदन चुराए [आनंद ]
Sunday, September 16, 2012
40 तर्ज ;-ओ फिरकी वाली ,तू कल फिर आना [राजा और रंक ]
ओ पिच्छी वाले ,
हम शीश झुकाए ,तेरे गुण गाये ,मन- वचन और काय से
कि अब जाना है हमें भव पार से
1
तेरी तपस्या की ,क्रिया- को देख देख कर -2
सबको अचरज होता है
कैसे कर लिया ,मन इन्द्रियों को वश में
सबको विस्मय होता है
सर्दी गर्मी -2,हो या बारिश ,कोई फरक नहीं पड़ता
तूने छोड़ा- है घर-बार सारा ,एशो आराम सारा
और निकला है शान से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
2
तेरे उपदेश की, ये बाते सुन सुन के -2
मन बैराsगी होता है
मन में छुपे हुए ,जो अव-गुण सारे
धुल के निर्मल होता है
एक बार तू -2 हाथ फिरा दे ,दया से मेरे सर पे
मिट जाये -विकार मेरे सारे ,हो जाये वारे न्यारे
तेरे उपकार से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
रचयिता
राजू बगडा
ता ;-16.9.2012
Monday, September 3, 2012
19 तर्ज-सोना की घड़ाद्दयों- म्हार-पायलड़ी -[मारवाड़ी]
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
डगमग डोळ मंझदारss में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव पार -प्रभूजी ,केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया
1
बचपन खिलौना माही खेल बितायो -2
रंगरेल्या म सारो जीवन बितायो -
अब आयो जो बुढापो -आयी याद -प्रभुजी ,केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
2
केवो तो प्रभूजी सोलह - भावना भावू -2
बोलो तो हमेशा चरणा म -रह जाऊ
बण जाऊ थार चरणा को दास -प्रभूजी, केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ -थारी -मूरतिया-
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
डगमग डोळ मंझदारss में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव पार -प्रभूजी ,केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
रचयिता -राजू बगडा
ता;4.9.2012
Sunday, August 26, 2012
39 तर्ज -आलीजा लेता आज्योजी घुमेरदार लन्जो [मारवाड़ी]
पारस जी अरजी सुण ल्योनी ,बुलाव थारो बंदो
बुलाव. थारो बंदो , पुकार.थारो बंदो -2
प्रभुजी अरजी सुण ल्यो नी ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी ,बुलाव.थारो बंदो
1
म्हे पूजा थाल रचावा ,थारी पूजा कर हर्षावा -2
प्रभुजी अरजी सुण ल्यो नी ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी सुण ल्यो नी ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी सुण ल्योनी ,बुलाव थारो बंदो
2
म्हे राग द्वेष म फँस ग्या ,म्हे मोह माया म फँस ग्या -2
प्रभुजी अरजी सुण ल्यो नी ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी सुण ल्यो नी ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी सुण ल्योनी ,बुलाव थारो बंदो
3
म्हान प्रेम भाव सिखलाई ज्यो -म्हान क्षमा धरम बतलाई ज्यो -2
प्रभुजी अरजी सुण ल्यो नी ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी सुण ल्यो नी ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी सुण ल्योनी ,बुलाव थारो बंदो
रचयिता -राजू बगडा
ता -26.8.2012
Tuesday, August 14, 2012
18 तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]
एजी हा सा म्हारो मनडो पूजा विधान चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मन्दिरा म चालो सा -2
एजी हा सा म्हारो मनडो जिनवाणी सुणबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा उपदेशा म चालो सा -2
एजी हा सा म्हारो मनडो आहार देबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मुनि संघा म चालो सा -2
रचयिता -राजू बगडा
ता;-15-08-2012
Saturday, December 24, 2011
38 तर्ज why this kolaveri kolaveri kolaveri d-super bhajan-english-
http://www.youtube.com/watch?v=YR12Z8f1Dh8
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d- [3 time] [thari mhari means-its yours its mine]
why this thari mhari,------------------------------ d
sky lu sun moon, hot cool bright
hot cool girl boys, always fight
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2
everybuddy near dear, nobuddy but yours
everytime keep in mind,death will be sure
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2
pa pa p pa- pa pa p pa- pa pa p pa- pap pa-2-------------
ok mama
now tune changes
khali hath [only english]
empty hand comes in world, empty hand goes
everybuddy know it well, no buddy believe
money money lovely money,everybuddy want u
black money white money, any colour love u
life like water drops, burst any how
mom dad son wife,nobuddy save u
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2
writer-raju bagra
dt-24.12.2011
11.00 pm
Thursday, September 8, 2011
17 तर्ज -उड़ उड़ दबंग दबंग दबंग दबंग-[दबंग]
३
ये जंगल जंगल घूमे है
और गाँव गाँव में जावे है
बड़े जुंझार-तपसी महान-रहे तपस्या में ये आगे
रचयिता
राजू बगडा
ता ;८.९.२०११
Tuesday, September 6, 2011
37 तर्ज -कव्वाली -वादा तेरा वादा,वादे पे तेरे मारा गया ,बंदा मै सीधा सादा [दुश्मन ]
कि प्राणी बच नहीं सकता -कभी कर्मो के घेरो से
Sunday, September 4, 2011
16 तर्ज-कजरा मोहब्बत वाला अंखियो में ऐसा डाला [किस्मत ]
Saturday, August 27, 2011
15 बड़े अच्छे लगते है-ये धरती,ये नदिया,ये रैना ,और तुम [बालिका वधु ]
Saturday, August 6, 2011
36 तर्ज -मुन्नी बदनाम हुयी डारलिंग तेरे लिए [दबंग]
http://sound17.mp3pk.com/indian/dabangg/dabangg02(www.songs.pk).म्प३
मंदिर की जोत बनू ,प्रभुजी तेरे लिए -३
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
माथे का मुकुट बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
चांदी का छतर बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२
१
सारे भोगो से मेरा मन भर गया ,---मन भर गया -२
तेरे चरणों में आके दिल खुश हुआ ,----दिल खुश हुआ
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया &&&&&
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया और नाचे जिया
फूलो का हार बनू प्रभुजी तेरे लिए
केसर के फूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२
२
राजा और रंक सारे आते यंहा ------आते यंहा
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे &&&&&&&
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे और मांगे दुआ
मै तेरे जैसा बनू प्रभु जी तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभु जी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२
३
चारो गतियो में फिरता हो अधमरा -----हो अधमरा -२
दुखो से रहता हरदम साथ मेरा --------साथ मेरा
बड़े भागो से मुझको आज मिला है &&&&&&
बड़े भागो से मुझको आज मिला है दर्शन तेरा बड़ा
मोतियन की माला बनू प्रभुजी तेरे लिए
मै बांदरवाल बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
दीये की बाती बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की घंटी बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की ध्वजा बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर का कलश बनू प्रभुजी तेरे लिए
पिछी कमंडल बनू प्रभुजी तेरे लिए
पूजा की थाली बनू प्रभुजी तेरे लिए
चांदी का चंवर बनू प्रभुजी तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
फूलो का हार बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
प्रभुजी तेरे लिए -३
रचयिता
राजू बगडा
ता;-७.८.२०११
Sunday, July 31, 2011
14 तर्ज -पैसा पैसा करती है तू पैसे पे क्यू मरती है [दे दना दन]
Thursday, March 31, 2011
35 तर्ज -प्यार माँगा है तुम्ही से ,ना इनकार करो [कॉलेज गर्ल ]
Sunday, November 14, 2010
13 तर्ज सुरमयी अंखियों में नन्हा मुन्ना इक सपना दे जा रे - [सदमा]
http://sound14.mp3pk.com/indian/sadma1983/sadma04%28www.songs.pk%29.म्प३
प्रभु चरणों में आकर
मुझको बड़ा अच्छा लगता है -२
प्रभु मेरे सच्चे साथी है
भव भव से वो साथी है -रा री रा री ओ रारी ओ
१
देव गुरु ब्रहस्पति भी अपने
ज्ञान से प्रभु गुण गा नहीं पाते
ऐसे में मुझ अ$ज्ञानी की ,स्तुति सुन के
होती है सब जग में हँसी
फिर भी मै करता स्तुति ---------प्रभु चरणों में आकर ------
२
तीन लोक की सुन्दरता यदि
रूप बदलकर प्रभु सम आवे
प्रभु चेहरे को ,देखकर इक पल में ही
शरम से मुरझाने लगे
और फिर ये गाने लगे ------------प्रभु चरणों में आकर ------------
३
पंचेंद्रियो को वश में करके
चंचल मन को वश में करके
खुद को जीता ,इसलिए दुनिया वाले
महा वीर कहने लगे
तेरे गुण गाने लगे ------------प्रभु चरणों में आकर ---------------
रचयिता -राजू बगडा
ता;१४-११-२०१०
Monday, September 13, 2010
34 तर्ज -सुहानी चांदनी राते हमें सोने नहीं देती [मुक्ति]
http://sound20.mp3pk.com/indian/mukti/mukti03%28www.songs.pk%29.म्प३
सुनानी है प्रभु तुमको मेरे संसार की बाते
निरंतर बढते कर्मो से दुखो की बढती सौगाते
१
नरक में बदले की अग्नि ,स्वर्ग में ईर्ष्या की अग्नि
हर इक गति में उठाये दुःख -न आई सुध कभी अपनी
बड़ी मुश्किल से पाया है ,तुम्हे इस जनम में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके .........सुनानी है ..........
२
कहीं ऐसा न हो -फिर से -मैं तुमसे दूर हो जाऊं
दिखा देना वो सच्ची राह अगर मै डगमगा जाऊं
नयी शुरुआत करनी है तुम्हारी शरण में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके ........सुनानी है ............
रचयिता -राजू बगडा
१२ -०९ -२०१०
Saturday, September 11, 2010
12 तर्ज--तेरे मस्त मस्त दो नैन मेरे दिल का ले गए चैन [फिल्म -दबंग]
http://sound17.mp3pk.com/indian/dabangg/dabangg01%28www.songs.pk%29.mp3
चाहते रहते प्रभु को सांझ सवेरे
मिलती है खुशिया हो जो दर्शन तेरे -२
तेरे भक्त बहुत बैचैन -सबको मिल जाये चैन
सबको मिल जाये चैन -तेरे भक्त बहुत बैचैन
१
इन्द्रों के मुकुटो की, मणियों से रोशन तेरा चेहरा हाय चेहरा हाय
सूरज चाँद का ,रंग है फीका , तेरे आगे आगे शर्माए जाये
तेरी कृपा जो हमको , मिल जाये भगवन ,पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन
पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन
तेरे भक्त बहुत बैचैन सबको मिल जाये चैन ...........................
२
जनम जनम से , भव सागर में ,कर्मो ने जकड़ा जकड़ा जकड़ा हाय
तेरी दया का, अब है सहारा , तुने तारा तारा सबको है तारा
तेरी कृपा जो हमको , मिल जाये भगवन ,पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन
पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन
तेरे भक्त बहुत बैचैन सबको मिल जाये चैन ...........................
रचयिता -राजू बगडा
११ .९ .२०१०
Sunday, August 15, 2010
33 तर्ज-सखी सैंय्या तो खूब ही कमात है मंहगाई डायन खाए जात है [पीपली लाइव ]
http://sound18.mp3pk.com/indian/peeplilive/peeplilive02%28www.songs.pk%29.mp3
सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा
मंहगाई पाप करवात है -३
१
रोज सुबह मंदिर जावे -ध्यान प्रभु का कर पावे - नैन प्रभु से मिल पावे -२
इससे पहले-२, मोबाईल घन घनात है -मंहगाई पाप करवात है
२
गुरुवो से उपदेश सुने -झूठ कहे तो दुःख; मिले -मन में यूँ बैराग जगे -२
बाहर निकले कि-२,झूठों के सरताज है -मंहगाई पाप करवात है
३
गुरुवो कि ये बात सही -खाली हाथ ही आया है -और खाली हाथ ही जायेगा -२
बीबी करती -२ फरमाइश कि बरसात है -मंहगाई पाप करवात है
४
हे ssssssssssss सैंय्या ssssssssss -२
सैंय्या रे म्हारो सैंय्या रे ,
सैंय्या रे -म्हारो खूब धर्म करे सैंय्या रे-
अरे कमा कमा के मर गये सैंय्या -२
पहले पाप कमाए और फिर धर्म करे म्हारो भोले सैंय्या-२
मोटे सैंय्या, पतले सैंय्या -लम्बे सैंय्या, छोटे सैंय्या -२
हो इक पल में -२, ये जीवन बिखर जात है -प्रभु जी यही समझात है
संतोषी दुखो; से बच जात है -प्रभु जी यही समझात है ..........सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा .........
रचयिता -राजू बगडा
ता;१५.८.२०१०
Sunday, March 28, 2010
11 तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -मारवाड़ी
वीर जन्म्या,त्रिशला क ,वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न थे भेजो ओ बधाई रे ,नगरी म वीर जन्म्या
२
देव और देवों का राजा, इन्द्र पधारया-२
त्रिशला माता क घर रतन बरसाया रे , नगरी म वीर जन्म्या
३
पूजा ,पूजा रा कपडा ,पीला रंग्वाद्दयो-२
महारा सुसराजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या
४
पूजा ,पूजा रा चावल ,पीला रंग्वाद्दयो -२
म्हारा सासुजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या
५
पूजा ,पूजा री केसर , गहरी घिशवाद्द्यो-२
म्हारी जेठानी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या
६
मदुरै नगरी म, सब न जीमण, जिम्वाद्द्यो
म्हारी बाई सा क बीरा न कहलाद्द्यो रे ,नगरी म वीर जन्म्या
रचयिता -राजू बगडा
२८.३.१०
Saturday, March 13, 2010
32 तर्ज-हम दोनो मिलके,कागज पे दिल के,चिट्ठी लिखेगे,जबाब आएगा
गुरुओ से मिल के
जिनवाणी सुन के
ध्यान करने से, प्रभु मिल जायेगा
१
मन्दिर की घंटी बजे तो, दौड़े चले आना
प्रभु अभिषेक से अरिष्ट को मिटाना
पूजा की थाली को अष्ट द्रव्य से सजाना
प्रभु की पूजा में, तन मन से जी लगाना
मन में मन्दिर के
प्रभु बसाले
प्रभु बसाने से भव तर जायेगा -----------------गुरुओ से मिल के
२
मन्दिर में प्रभु के ऊपर , तीन छतर सोहे
प्रभु के चेहरे की,मुस्कान मन को मोहे
तीन लोक की सम्पति सगरी,त्यागी इक पल में
हो के वीतरागी , वो समाये कण कण में
नश्वर है काया
सब कुछ पराया
कुछ भी नहीं तेरे साथ जायेगा -------------------गुरुओ से मिल के
रचयिता -राजू बगडा
१३.०३.१०
Wednesday, July 22, 2009
10 तर्ज-ससुराल गेंदा फूल -दिल्ली ६
http://sound15.mp3pk.com/indian/delhi6/delhi605%28www.songs.pk%29.mp3
सैय्या मुंह झुकाए ,अख़बार पढता जाए -संसार गेंदा फूल
सास मन्दिर जाए ,ससुरजी घुमण जाए -संसार गेंदा फूल
छूटा प्रभू का दर्शन बहू को ,नौकरानी याद आए
ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय
सास मन्दिर जाए ----------------------------------
१
मन्दिर म प्रभू की, पूजा तो नही सुहाव
आवण जावण वाला से ,बा तो बतियाती जावे -संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय ,ओय होय होय ,ओय होय होय
२
सैय्या है व्यापारी ,आए प्रभो के द्वार
मोबाईल पे बतियाते ,प्रभू के जोड़े हाथ -----संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय
३
ऑफिस जल्दी जाणो, यूँ मन म कर विचार
और बिन फेरी काटे ही ,प्रभू से कह बाय बाय -----संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय
४
टीवी और बीबी से ,समय जे बच जाए
कर टीका टिप्पणी गुरुआ पर ,मन म खुशी मनाव---------संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय
५
बेटा है लाडेसर ,और पोता परमेश्वर
आ सब न की ना केव ,बस बहू न धमकाव --------संसार गेंदा फूल
६
भक्ता की ऐ बाता, भक्ति की परिभाषा
प्रभू देख देख मुस्काव ,संसारी समझ न पाव----------संसार गेंदा फूल
सैय्या मुंह झुकाए ,अख़बार पढता जाए -संसार गेंदा फूल
सास मन्दिर जाए ,ससुरजी घुमण जाए -संसार गेंदा फूल
छूटा प्रभू का दर्शन बहू को ,नौकरानी याद आए
ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय
रचयिता -राजू बगडा
२१.०७.०९
Tuesday, December 30, 2008
31 तर्ज -रात कलि इक ख्वाब में आयी
http://sound9.mp3pk.com/indian/buddha_mil_gaya/buddha_mil_gaya5%28www.songs.pk%29.mp3
आज प्रभु तेरे चरणों में आकर -जीवन मेरा धन्य हुआ
सुबह सुबह तेरे दर्शन पाकर -मन अत्यंत प्रसन्न हुआ
१
यूँ तो जगत में ,चाँद और सूरज ,करते है रोज उजियारे
पर तेरे ज्ञान की ,जोत से मिटते , आतम के अंधियारे
तेरी चमक से ,मेरे जीवन में
ज्ञान का फिर संचार हुआ -------------आज प्रभु
२
जनम जनम से, भवसागर में ,कर्मो के जाल बुने है
उन जालो में ,फंसकर क्या क्या ,दुःख ना मैंने सहे है
तेरे ज्ञान की ज्योती से मुझको
कर्मों की लीला का भान हुआ ---------आज प्रभु
रचयिता -राजू बगडा-
Wednesday, August 13, 2008
30 तर्ज;-उड़ती कुरजरिया -मारवाडी
१
पहलों तो संदेशो म्हारो वीर प्रभु न दीज्यो थे -२
भारत री जनता रो थे प्रणाम दीज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया -----------------
२
हिंसा झूठ में कुछ नही रखा-आ जनता न कीज्यो थे -२
प्रेम भाव री बाता थोडी सिखला दी ज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया ------------------
३
लोभ पाप और मान कषाया रो विष पीणो छोड़ दो-२
प्रेम रो अमृत जनता न पीणो बतलाईज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया ---------------------
रचयिता -राजू बगडा-ता ;-१५.०८.१९७९