Sunday, March 28, 2010

11 तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -मारवाड़ी

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वीर जन्म्या,त्रिशला क ,वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न थे भेजो ओ  बधाई रे ,नगरी म वीर जन्म्या

देव और देवों का राजा, इन्द्र पधारया-२
त्रिशला माता क घर रतन बरसाया रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा ,पूजा रा कपडा ,पीला रंग्वाद्दयो-२
महारा सुसराजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा ,पूजा रा चावल ,पीला रंग्वाद्दयो -२
म्हारा सासुजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा ,पूजा री केसर , गहरी घिशवाद्द्यो-२
म्हारी जेठानी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

मदुरै नगरी म, सब न जीमण, जिम्वाद्द्यो
म्हारी बाई सा क बीरा न कहलाद्द्यो रे ,नगरी म वीर जन्म्या
रचयिता -राजू बगडा
२८.३.१०

Saturday, March 13, 2010

32 तर्ज-हम दोनो मिलके,कागज पे दिल के,चिट्ठी लिखेगे,जबाब आएगा


गुरुओ से मिल के
जिनवाणी सुन के
ध्यान करने से, प्रभु मिल जायेगा

मन्दिर  की  घंटी  बजे  तो, दौड़े  चले  आना
प्रभु अभिषेक से अरिष्ट को मिटाना  
पूजा की थाली को अष्ट द्रव्य से  सजाना
प्रभु  की  पूजा  में, तन  मन  से  जी लगाना 
मन में मन्दिर के
प्रभु  बसाले
प्रभु बसाने से भव तर जायेगा -----------------गुरुओ से मिल के


मन्दिर  में  प्रभु  के  ऊपर , तीन  छतर  सोहे 
प्रभु  के  चेहरे  की,मुस्कान  मन  को  मोहे
तीन लोक  की सम्पति सगरी,त्यागी इक पल में
हो के  वीतरागी , वो समाये  कण  कण में


नश्वर है  काया
सब कुछ पराया
कुछ भी नहीं तेरे साथ जायेगा -------------------गुरुओ से मिल के
रचयिता -राजू बगडा
१३.०३.१०