Thursday, July 31, 2008

01 तर्ज;-रिम झिम के गीत सावन गाये-हाय -भीगी भीगी रातों में

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मन्दिर में दीप झिलमिलाये -हाये
भगवन तेरी आंखों के

तीनों लोकों का धन तेरे पास था
तेरे जीवन में कुछ ना अभाव था
फिर भी त्यागा -जो कुछ तेरे पास था
क्योंकि नशवर काया का तुझे ज्ञान था
तेरे ज्ञान -की जोत बिखराए -हाये
भगवन तेरी आंखों से ----------------मन्दिर में ------

इन्द्रिय सुख को मै हरदम चाहता
नशवर काया पे सब कुछ लुट्टावता
मेरा दुःख से सदा ही रहता वास्ता
क्योंकि आधी अधूरी तुझ पर आस्था
मुझ में ज्ञान की जोती जगा दे -हाये
भगवन तेरी आंखों से ---------------मन्दिर में -------
रचयिता -राजू बगडा-२७.०८.२००६
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Wednesday, July 30, 2008

02 तर्ज -पल पल दिल के पास तुम रहती हो

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पा- रस तेरो नाम, मन को भाए
जीवन में मुस्कान ,तू ले आए
अंतरा-१
पा का मतलब है -पापो, से मुक्ति दिलाने वाला
र का मतलब है -राग औ ,द्वेषो को मिटाने वाला
स सच्ची राह बताये
ना नफरत दूर भगाए
थ थाम के बाहें भव सा -गर को तू पार कराये
हे पारसनाथ तभी तूं, त्रिलोकी नाथ कहाए ------------
पारस तेरो नाम -----------------------

नित तेरा ध्यान करूँ ,तेरा गुण गान करूँ
मेरे कर्म सभी कट जाए ,तेरा आव्हान करूँ
सम्यक दर्शन करवाना
सम्यक का ज्ञान कराना
सम्यक चारित्र की राहों , पे तू चलना सिखलाना
जब तक ना मिले मुझे मुक्ति ,तूं मेरा साथ निभा -ना -------------------
पारस तेरो नाम -----------
रचयिता -राजू बगडा
30.7.2008
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