Sunday, August 15, 2010

33 तर्ज-सखी सैंय्या तो खूब ही कमात है मंहगाई डायन खाए जात है [पीपली लाइव ]

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सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा
मंहगाई पाप करवात है -३

रोज सुबह मंदिर जावे -ध्यान प्रभु का कर पावे - नैन प्रभु से मिल पावे -२
इससे पहले-२, मोबाईल घन घनात है -मंहगाई पाप करवात है

गुरुवो से उपदेश सुने -झूठ कहे तो दुःख; मिले -मन में यूँ  बैराग जगे  -२
बाहर निकले कि-२,झूठों के सरताज है  -मंहगाई पाप करवात है

गुरुवो कि ये बात सही -खाली हाथ ही आया है -और खाली हाथ ही  जायेगा -२
बीबी  करती -२  फरमाइश कि बरसात है -मंहगाई पाप करवात है


हे ssssssssssss सैंय्या ssssssssss -२
सैंय्या रे म्हारो सैंय्या रे ,
सैंय्या रे -म्हारो खूब धर्म करे सैंय्या रे-
अरे कमा कमा के मर गये  सैंय्या -२
पहले पाप कमाए और  फिर धर्म करे म्हारो भोले  सैंय्या-२
मोटे सैंय्या, पतले  सैंय्या -लम्बे सैंय्या, छोटे सैंय्या -२


हो इक पल में -२, ये जीवन बिखर जात है -प्रभु जी यही समझात है
संतोषी दुखो; से बच जात है -प्रभु जी यही समझात है ..........सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा .........
रचयिता -राजू बगडा
ता;१५.८.२०१०