Saturday, July 12, 2025

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश)

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश)
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दिल से, मांगते हैं, क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,2
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
1
जाने अनजाने, कभी,कटु बोल जो भी कहे 
कहा सुनी जो भी हुई, अहंकारsवश मुझ से
गलती से भी,- व्यवहार में
ठेस जो पहुंची,मन में आपके
दिल से, मांगते हैं, 2क्षमाs , आज सबसे 
मुझको माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
2
छमा की है,ये भावना,कंही कोई दिखाsवा,नहीं
पछतावा सच्चा, मेरा,कंही कोई स्वारथ नहीं
पर्युषण की, यही भावना
निर्मल करती , हर आत्मा
दिल से, मांगते हैं,2 क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
रचयिता
राजू बगङा मदुरै
12.7.2025 (6.15 pm )
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